भारत के गर्वनर जनरल और वायसराय

भारत के गर्वनर जनरल और वायसराय

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:-

  • बंगाल का प्रथम गर्वनर-क्लाइव।
  • आत्महत्या करने वाला प्रथम गर्वनर-क्लाइव।
  • महाभियोग का सामना करने वाला गर्वनर जनरल-वारेन हेस्टिंग्स।
  • बंगाल का प्रथम गर्वनर जनरल-वारेन हेस्टिंग्स।
  • वह गर्वनर जनरल जिसकी मजार गाजीपुर में है- कार्नवालिस।
  • 1833 के अधिनियम के द्वारा भारत का प्रथम गर्वनर जनरल -लाॅर्ड विलियम बैंटिंग
  • ब्रिटिश भारत का अन्तिम गर्वनर जनरल-माउण्ट बेटेन।
  • भारत का अन्तिम गर्वनर जनरल-श्री राजगोपालाचारी।
  • भारत का प्रथम वायसराय-लार्ड कैनिंग।
  • भारत का सबसे लोकप्रिय गर्वनर जनरल-रिपन।

बंगाल के गर्वनर

प्लासी के युद्ध में विजय के बाद क्लाइव को बंगाल का गर्वनर बनाया गया।
1. क्लाइव (1757-60):- क्लाइव की ईस्ट इंडिया कम्पनी में नियुक्ति एक क्लर्क के रूप में दक्षिण भारत में हुई थी जहाँ उसने आंग्ल फ्रांसीसी युद्ध के समय अपनी सौर्य एवं बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया, फलस्वरूप उसे बंगाल में सेना नायक की हैसियत से भेजा गया। प्लासी के युद्ध में बहादुरी दिखाने के बाद उसे बंगाल का प्रथम गर्वनर बनाया गया।
2. हालवेल (1760) स्थानापन्न:- क्लाइव के वापस जाने के बाद इसे बंगाल का स्थानापन्न गर्वनर बना दिया गया। इसी ने ब्लैकहोल की घटना का वर्णन किया है।
3. बेन्सिटार्ट (1760-65 ई0):- इसके समय में बक्सर का प्रसिद्ध युद्ध हुआ।
4. क्लाइव (1765-67):- बक्सर युद्ध में अंग्रेजी विजय के बाद क्लाइव को पुनः बंगाल का गर्वनर बनाकर भेजा गया। इसने निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य किये।

  • दीवानी की प्राप्ति:- शाह आलम-द्वितीय ने 1765 ई0 के इलाहाबाद के प्रथम सन्धि के द्वारा बंगाल बिहार और उड़ीसा की दीवानी अंग्रेजों को प्रदान की।
  • द्वैध शासन:- 1765 ई0 में बंगाल में क्लाइव ने द्वैध शासन लागू किया।
  • व्यापार समिति का गठन:- सोसायटी फार टेªड का गठन क्लाइव ने 1765 में कम्पनी के कर्मचारियों की एक व्यापार समिति बनायी इन्हें नमक सुपारी, तथा तम्बाकू के व्यापार का अधिकार दिया। 1768 में यह योजना समाप्त हो गयी।
  • श्वेत विद्रोह:– क्लाइव ने बंगाल के सैनिकों को मिलने वाला दोहरा भत्ता बन्द कर दिया। मुगेर तथा इलाहाबाद के श्वेत अधिकारियों ने क्लाइव के आज्ञा का विद्रोह किया। इसे श्वेत विदोह के नाम से जाना जाता है परन्तु इस विदोह को दबा दिया गया।

इतिहासकार पर्सिवल स्पियर ने उसे भविष्य का अग्रदूत कहा। क्लाइव ने इंग्लैण्ड में जाकर आत्महत्या कर ली।
5. वेरलेस्ट (1767-69):- द्वैध शासन के समय बंगाल का गर्वनर।
6. कर्टियर (1769-72):- द्वैध शासन इसके समय में भी जारी रहा। इसके समय में आधुनिक भारत का पहला अकाल 1770 ई0 में पड़ा।
7. वारेेेेन हेस्टिंग्स (1772-74):- यह बंगाल का अन्तिम गर्वनर था। इसने क्लाइव द्वारा स्थापित द्वैध शासन को समाप्त कर दिया।
बंगाल के गर्वनर जनरल

(1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के द्वारा)

रेगुलेटिंग एक्ट के तहत पहली बार गर्वनर जनरल की नियुक्ति की गई। इस प्रकार भारत में प्रथम गर्वनर जनरल की नियुक्ति की गयी। इस प्रकार प्रथम भारत के गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को बनाया गया।

1. वारेन हेस्टिंग्स (1774-85)

 इसके काल की प्रमुख घटना निम्नलिखित है।

  • राजस्व बोर्ड का गठन:- 1772 में हेस्टिंग्स ने इसका गठन किया तथा राजस्व कोस को मुर्सिदाबाद से कलकत्ता ले आया।
  • भू-राजस्व बन्दोबस्त:– 1772 में पाँच वर्षीय और 1777 में एक वर्षीय भू-राजस्व बन्दोबस्त किया।
  • न्याय व्यवस्था की शुरुआत:– 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत 1774 में कलकत्ता में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गयी। इसका मुख्य न्यायाधीश इम्पे था। इसके अन्य न्यायाधीश चैम्बर्स, लिमैस्टर एवं हाइड थे। इस प्रकार भारत में न्यायिक सेवा का यह जन्म दाता माना जाता है।
  • बनारस की सन्धि (1773):- इसी सन्धि से प्रेरित होकर अवध के नवाब सुजाऊद्दौला ने 1774 ई0 में रुहेल खण्ड पर अधिकार कर लिया।
  • फैजाबाद की सन्धि (1775):- इस संधि के द्वारा अवध के बेगमों की सम्पत्ति की सुरक्षा की गारण्टी दी गयी थी। तथा बनारस पर अंग्रेजी सर्वोच्चता स्वीकार कर ली गयी।
  • ऐसियाटिक सोसाइटी आॅफ बंगाल की स्थापना (1784) में विलियम जोन्स द्वारा:- इस सोसाइटी का मूल उद्देश्य प्राचीन भारतीय पुस्तकों का आंग्लभाषा में अनुवाद करना था। इस सोसाइटी द्वारा अनुमोदित पहली पुस्तक विलिकिंग्सन द्वारा भगवतगीता तथा दूसरी हितोपदेश एवं तीसरी जैन शाकुन्तलम थी। जिसका आंग्ल भाषा में अनुवाद विलियम जोन्स ने स्वयं किया था।
  • नन्द कुमार अभियोग (1775):- राजानन्द कुमार मुर्शिदाबाद का भूतपूर्व दीवान था। इसने हेस्टिंग्स पर आरोप लगाया कि मीर जाफर की विधवा मुन्नी बेगम ने अल्पवयस्क नवाब मुबारकउद्दौला का संरक्षक बनने के लिए वारेन हेस्टिंग्स को साढ़े तीन लाख रुपया घूस दिया। हेस्टिंग्स ने मुख्य न्यायाधीश इम्पे की मदत से नन्द कुमार को फाँसी पर लटका दिया। इस मुकदमें को न्यायिक हत्या की संज्ञा दी जाती है।
  • महाभियोग:– हेस्टिंग्स एक मात्र गर्वनर जनरल था जिस पर महाभियोग लगाया गया था। यह महाभियोग वर्क ने लगाया था परन्तु हेस्टिंग्स को बरी कर दिया गया।
  • सर जान मैक फरसन (1786) स्थानापन्न

2. कार्नवालिस (1786-93)

यही एक मात्र गर्वनर जनरल है जिसकी स्वतः मृत्यु भारत में हुई तथा गाजीपुर में समाधि बनायी गयी। इसके काल की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ निम्नलिखित हैं-

  • पुलिस सेवा का जन्मदाता:- भारत में पुलिस सेवा का जन्मदाता कार्नवालिस को माना जाता है।
  • सिविल सेवा:- भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता कार्नवालिस था। पहली बार 1833 के अधिनियम में यह कहा गया कि क्रास्ट क्रीड और कलर के आधार पर कोई भेद-भाव नही किया जायेगा। धारा 87, परन्तु 1853 ई0 से इस सेवा में परीक्षा होने लगी। 1863 में प्रथम भारतीय I.E.S. सत्येन्द्र नाथ टैगोर थे। प्रारम्भ में इस परीक्षा की आयु 23 वर्ष थी जिसे लिटन ने घटा कर 19 वर्ष कर दिया।

सुरेन्द्र नाथ बनर्जी असम के कलक्टर पद पर रहते हुए निलम्बित कर दिये गये थे। जबकि अरबिन्द घोष घुड़सवारी परीक्षक पास नही कर पाये थे। सुभाष चन्द्र बोस ने I.E.S. परीक्षा पास करने के बावजूद अपने राजनैतिक गुरु म्ण्त्ण् क्ंे के कहने पर इस्तीफा दे दिया था। प्रारम्भ में यह परीक्षा इंग्लैण्ड में होती थी लेकिन 1923 से भारत में भी होने लगी। सिविल सेवा को इस्पात का चैखट कहा जाता है।

  • स्थायी बन्दोबस्त:- 1793 में पहले बंगाल में फिर बिहार उड़ीसा में लागू हुआ। R.E. Dutt ने स्थाई बन्दोबस्त का समर्थन किया था। क्योंकि वे स्वयं जमींदार परिवार से सम्बन्धित थे।
  • कार्नवालिस संधिता (1793):– इस कोड के द्वारा कर तथा न्याय प्रशासन को पृथक कर दिया गया। इस प्रकार यह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धान्त पर आधारित था।
  • दास व्यापार पर रोक (1789):– कार्नवालिस ने 1789 में दासों के व्यापार पर रोक लगा दिया।

3. सर जाॅन शोर (1793-98)

जान शोर ने सुझाव दिया था कि जमींदारों के साथ भू-राजस्व बन्दोबस्त किया जाय। इसने मैसूर के प्रति अ-हस्तक्षेप की नीति अपनायी।

4. लार्ड वेलेजली (1798-1805)

1. फोर्ट विलियम कालेज की स्थापना:- इस कालेज की स्थापना I.E.S. में भर्ती किये गये युवकों के प्रशिक्षण के लिए किया गया था। परन्तु बाद में इसे बन्द कर इसकी जगह इंग्लैण्ड के हेलेवरी में प्रशिक्षण दिया जाने लगा।
2. सहायक संन्धि (1798):- भारत में अंग्रेजी श्रेष्ठता को स्थापित करने के उद्देश्य से वेलेजली ने सहायक सन्धि प्रणाली को प्रचलित किया। इस संन्धि को स्वीकार करने वाले राज्यों के वैदेशिक सम्बन्ध अंग्रेजी राज्य के अधीन हो जाते थे। परन्तु उनके आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाता था। इस सन्धि का मूल उद्देश्य बिना खर्च के सेना को संगठित करना तथा फ्रांसीसी भय को समाप्त करना था। निम्नलिखित राज्यों ने सन्धि पर हस्ताक्षर किये-

  1. हैदराबाद    -1798
  2.  मैसूर          -1799
  3. तन्जौर        -1799
  4. अवध          -1801
  5. पेशवा         -1802
  6. भोंसले        -1803
  7. सिन्धिया      -1804
  8. जोधपुर
  9. जयपुर
  10. भछेड़ी
  11. बूँदी
  12. भरत पुर

5. सर जार्ज वारलो (1805-07)

इसने होल्कर के साथ 1806 में राजपुर घाट की सन्धि की परन्तु मराठों के प्रति शान्तिपूर्ण नीति अपनायी, इस तरह इसे मराठों के प्रति अहस्तक्षेप की नीति को अपनाने का श्रेय दिया जाता है।

6. मिण्टों प्रथम (1807-13)

इसी के समय में रणजीत सिंह के साथ 1809 में अमृतसर की प्रसिद्ध सन्धि की गयी, इस सन्धि पर अंग्रेजों की तरफ से हस्ताक्षर मेटकाॅफ ने किया, जबकि सिक्खों की तरफ से रणजीत सिंह ने।

7. लार्ड हेस्टिंग्स (1813-23)

इसका काल ब्रिटिश सर्वोच्चता का काल माना जाता है, इसी समय ब्रिटिश प्रभुसत्ता भारत पर पूर्ण रूप से स्थापित हो गयी, इसके काल की प्रमुख घटना निम्नलिखित है-

1. आंग्ल-नेपाल युद्ध (1814-16):- इस युद्ध की शुरुआत तब हुई जब नेपाल ने भारत के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा पेश किया तथा आक्रमण कर दिया, अन्ततः हेस्टिंग्स ने उनहें पराजित किया। दोनों पक्षों ने संगोली की सन्धि (1816) के द्वारा शान्ति की स्थापना हुई। इसी सन्धि से नेपालियों ने काठमाण्डु में एक ब्रिटिश रेजीडेन्ट रखना स्वीकार कर लिया।
2. मराठों पर अन्तिम विजय:- तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध में मराठों की पराजय के बाद मराठा संघ को विच्छेद कर दिया गया, उसकी जगह पर सतारा नामक एक छोटे राज्य का गठन किया गया, और उस पर प्रताप सिंह को गद्दी पर बैठा दिया गया।
3. पिण्डारियों का दमन (1817-18):- पिण्डारी मराठी भाषा का शब्द है। यह लुटेरों का एक दल था, जिसमें हिन्दु तथा मुसलमान दोनों सम्मिलित थे, इन्हें मराठों का समर्थन प्राप्त था, मराठा सरदार मल्लहार राव होल्कर ने इन्हें सुनहला झण्डा प्रदान किया था। हेस्टिंग्स ने इनके दमन के लिए थाॅमस हिस्लोप की नियुक्ति की, हिस्लोप का सहायक मैल्कम था, जिसने पिण्डारियों को ’’मराठा शिकारियों का शिकारी कुत्ता कहा’’ सेना की कमान स्वयं लार्ड हेस्टिंग्स ने अपने हाथों में ले ली, इस समय चार प्रमुख पिण्डारी सरदार थे।

  1. चीतू:- इन्हें जंगल में चीता खा गया।
  2. वासिक मुहम्मद:– इन्होंने सिन्धियां के यहाँ शरण ली, सिन्धियाँ ने इन्हें अंग्रेजों के सुपुर्द कर दिया, इन्हें गाजीपुर के कारागर में बन्द कर दिया गया, जहाँ इन्होंने आत्महत्या कर ली।
  3. करीम खाँ:- इन्होंने समर्पण कर दिया, इन्हें गोरखपुर में गौंस की जागीर दी गयी।
  4. अमीर खाँ:– इन्होंने भी समर्पण कर दिया, इन्हें भरतपुर में टाक की जागीर दी गयी।

8. लार्ड एडम्स (1823)

यह स्थानापन्न गर्वनर जनरल था, इसके समय में प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

9. लार्ड एमहस्र्ट (1823-28)

यह पहला गर्वनर जनरल था, जो मुगल शासक अकबर-द्वितीय से बराबरी के स्तर पर मिला, इसके काल की अन्य प्रमुख घटना निम्नलिखित है-

  1. आंग्ल-बर्मा प्रथम युद्ध (1824-26):- यह बर्मा के साथ पहला युद्ध था, अन्ततः दोनों पक्षों में यान्डबू की सन्धि से शान्ति स्थापित हुई।
  2. 1824 में बैरकपुर की छावनी में सैनिक विद्रोह हुआ, क्योंकि सैनिकों ने वर्मा जाने से इन्कार कर दिया, क्योंकि समुद्र पार यात्रा करने से उनका धर्म भ्रष्ट हो जाता है।

लार्ड विलियम बैटिंग (1828-33 या 35)

1833 का अधिनियम पहली बार भारत का गर्वनर जनरल शब्द प्रयुक्त।

कार्य 1.:- बैटिंग जब 1806 में मद्रास का गर्वनर था, तब उसने सैनिकों को जातीय चिन्ह लगाने और कानों में बालियां आदि पहनने पर प्रतिबन्ध लगा दिया, जिससे वेल्लौर में प्रथम धार्मिक विद्रोह हुआ था। बैटिंग का काल विभिन्न सामाजिक सुधारों के कारण याद किया जाता है-

  • सती प्रथा का अन्त (1829):- 1829 के 17वें अधिनियम के द्वारा सती प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। प्रारम्भ में यह बंगाल प्रेसीडेन्सी पर लागू किया गया बाद में इसका दायरा बढ़ाकर बम्बई एवं मद्रास प्रेसीडेन्सी को भी शामिल किया गया।
  • ठगी प्रथा का अन्त:- ठगी प्रथा का का अन्त करने के लिए बेटिंग ने कर्नल स्लीमन की नियुक्ति की।
  • सरकारी सेवाओं में भेद-भाव का अन्त:- 1833 के अधिनियम के द्वारा, जाति, वर्ण, और नस्ल के आधार पर, भेद-भाव को प्रतिबन्धित कर दिया गया।
  • अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाना:- 1835 के 7वें अधिनियम द्वारा अंग्रेजी को भारत में शिक्षा का माध्यम बना लिया गया।
  • 1835 में कलकत्ता में मेडिकल कालेज की स्थापना।
  • 1831 में मैसूर तथा 1834 में कुर्ग को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
  • सर्वप्रथम इसी ने आयुक्तों की नियुक्ति की।

चाल्र्स मेटकाॅफ (1835-36)

इसने समाचार पत्रों पर से सारे प्रतिबन्ध हटा लिए। इसी कारण इसे समाचार पत्रों का मुक्तिदाता कहा जाता है।

लाॅर्ड आॅकलैण्ड (1836-42)

1. आंग्ल-अफगान युद्ध (1838-42):- इस युद्ध में अंग्रेजों की पराजय हुई, इतिहासकार इन्नस ने इस युद्ध को भारतीय इतिहास के सर्वाधिक मूर्खतापूर्ण युद्धों में गणना की है।
2. G.T. Road नाम इसी के समय में पड़ा।
3. रणजीत सिंह की सेना को इसने Asia की सबसे अच्छी घुड़सवार सेना कहा।

लार्ड एलनबरो (1842-44)

1. दास प्रथा पर प्रतिबन्ध:- एलनबरों ने 1843 के अधिनियम द्वारा दास प्रथा पर रोक लगा दी। इस तरह दासता समाप्त हो गयी।
2. सिन्ध का विलय (1843):- सिन्ध का विलय अफगान नीति का सीधा परिणाम था, सिन्ध के विलय को बहुत से इतिहासकारों ने अनुचित बताया और निन्दा की क्योंकि सिन्ध राज्य के साथ अंग्रेजों की सन्धि थी स्वयं सिन्ध के अंग्रेज रेजीडेन्ट चाल्र्स नेपियर ने अपने डायरी में लिखा है कि ’’हमें सिन्ध को हड़पने का कोई अधिकार नही है परन्तु हम यह कार्य करेंगे, यह एक लाभदायक, उपयोगी और मानवता पूर्ण नीचंता होगी।’’

लार्ड हार्डिंग (1844-48)

1. इसने नर बलि प्रथा को 1846 में समाप्त किया, इसके लिए एक अधिकारी कैम्पबेल की नियुक्ति की, यह नर बलि की प्रथा गोंड जनजाति में प्रचलित थी।
2. प्रथम आंग्ल-सिक्ख युद्ध:- 1845-46 इन्हीं के समय में प्रथम आंग्ल सिक्ख युद्ध हुआ जिसका समापन लाहौर की सन्धि से हुआ।

लार्ड डलहौजी (1848-56)

यह बहुत कम अवस्था में करीब 26 वर्ष की आयु में गर्वनर बना, इसके समय में प्रमुख कार्य निम्नलिखित हुए-
1. पंजाब का विलय:- 1849 में अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
2. द्वितीय आंग्ल वर्मा युद्ध:- डलहौजी ने 1852 में द्वितीय आंग्ल-वर्मा युद्ध में लोअर वर्मा (पींगू) को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
3. सिक्किम का विलय:- 1850 में सिक्किम राज्य को मिला लिया गया।
4. सैन्य सुधार:- डलहौजी ने कलकत्ता में स्थित तोपखाने का कार्यालय मेरठ में तथा सेना का प्रमुख कार्यालय शिमला में स्थापित किया।
5. इसी के समय में शिमला को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाया गया।
6. रेलवे लाइन:- पहली बार 1853 में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाणें के बीच चलायी गयी, जबकि दूसरी रेलवे लाइन 1854 में कलकत्ता से रानीगंज के बीच चलायी गयी।
7. विद्युत तार:– 1852 डलहौजी के समय में प्रथम विद्युत तार सेवा कलकत्ता से आगरा के बीच प्रारम्भ हुई, 1857 के विद्रोह के समय में एक विद्रोही ने मरते हुए यह कहा था कि इस तार ने हमारा गला घोंट दिया।
डाक टिकट:- 1854 में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन प्रारम्भ हुआ, अब 2 पैसे के टिकट से कहीं भी पत्र भेजा जा सकता था।
सार्वजनिक निर्माण विभाग:- इसी के समय में यह विभाग बनाया गया। वाणिज्य सुधार के अन्तर्गत इसने भारत के बनदरगाहों को अन्र्तराष्ट्रीय व्यापार के लिए खोल दिया।
शैक्षिक सुधार:- 1853 में टाॅमसन ने उत्तर पश्चिमी प्रान्त में हिन्दी माध्यम से अनेक स्कूल खोले। रुड़की विश्वविद्यालय भी आॅमसन ने ही खोला। यह भारत का प्रथम इंजीनियरिंग काॅलेज था। 1854 में चाल्र्स वुड का डिस्पैच पारित हुआ जो विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा से सम्बन्धित था। इसी के संस्तुति के आधार पर 1857 में लन्दन विश्वविद्यालय की नकल पर तीन विश्वविद्यालय कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में स्थापित किये गये।
1854 ई0 में लोक शिक्षा विभाग की स्थापना डलहौजी के समय में हुई।
राज्य हड़पने की नीति या व्यपगत सिद्धान्त या डाॅक्ट्रिन आॅफ लैप्स:- डलहौजी भारत में जिस कार्य के लिए सर्वाधिक चर्चित रहा, वह उसका राज्य हड़पने की नीति थी। डलहौजी में तत्कालीन भारतीय रजवाड़ों को तीन भागों में विभाजित किया।
1.    वे रजवाड़े जो किसी के नियंत्रण में नहीं थे न ही किसी को कर देते थे। वे बिना हस्तक्षेप के गोद ले सकते थे।
2.    वे रजवाड़े जो पहले मुगल सम्राट व पेशवा के अधीन थे परन्तु इस समय अंग्रेजों के अधीन थे उन्हें गोद लेने से पहले अंग्रेजों की अनुमति लेनी पड़ती थी।
3.    वे रियासतें जिनका निर्माण स्वयं अंग्रेजों ने किया था। उन्हें गोद लेने का अधिकार नहीं था। ऐसी ही रियासतों पर यह सिद्धान्त लागू था। इसी को आधार बनाकर अंग्रेजों ने निम्नलिखित राज्यों को अंग्रेजी राज्य में मिला दिया।

  • सतारा, 1848:– इस समय यहाँ का राजा अप्पा साहिब था।
  • जैतपुर, 1849:- म0प्र0 में स्थित।
  • सम्भलपुर, 1849:- उड़ीसा में स्थित, यहाँ का शासक नारायण सिंह था।
  • बघाट, 1850:– (पंजाब में) इसे कैनिंग ने बाद में वापस कर दिया।
  • ऊदेपुर 1852:- (म0प्र0) इसे कैनिंग ने बाद में वापस कर दिया।
  • झांसी (1853):- यहाँ का शासक गंगाधर राव था।
  • नागपुर (1854):- यहाँ का शासक रघु जी तृतीय था।

बोर्ड आॅफ डाइरेक्टर्स ने करौली हड़पने की आज्ञा नही दी।
अवध का विलय:- डलहौजी जब व्यपगत सिद्धान्त के आधार पर अवध का विलय नहीं कर सका तब इसने एक गैर सरकारी कमीशन आउट्रम की अध्यक्षता में बिठाया। इसकी रिपोर्ट को आधार मानकर कुशासन का आरोप लगाकर अवध राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया। इस समय यहाँ का नवाब वाजिदअलीशाह था।

1857 के विद्रोह का एक प्रमुख कारण अवध का विलय माना जाता है। क्योंकि कुशासन के आधार पर विलय से जनता में अंग्रेजों के प्रति अविश्वास की भावना बहुत तीव्र हो गयी।


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