औरंगजेब

औरंगजेब

उपाधि:-जिन्दा पीर एवं शाही दरवेश
जन्मः-1618ई0 में उज्जैन के निकट
माँ का नाम:-मुमताज महल
बचपन:-अधिकांश समय नूरजहाँ के पास
विवाह:-दिलरास बानो बेगम के साथ।
दक्षिण का सूबेदार-दो बार-1636-44, एवं 1652-57
इसके अतिरिक्त गुजरात, मुल्तान एवं सिन्ध का गर्वनर भी रह चुका था।
राज्याभिषेक-दो बार-सामूगढ़ के युद्ध के बाद 1658 में आगरा में एवं देवराई के युद्ध के बाद 1659 में दिल्ली में।

विजयें

  1. बीजापुर (1686):– बीजापुर के शासक सिकन्दर आदिलशाह ने आत्म समर्पण कर दिया इसे खान की उपाधि दी गई।
  2. गोलकुण्डा (1687):- यहाँ का सुल्तान अबुल हसन कुतुबशाह था। उसने शासन की जिम्मेदारी मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राहमण को सौंप दी थी।

प्रमुख विद्रोह

1. जाट-विद्रोह (1669):- नेतृत्व करता तिरुपति का जमींदार गोकुल, क्षेत्र-मथुरा, भरतपुर दिल्ली।
तिरुपति के जमींदार गोकुला ने जाट विद्रोह का नेतृत्व किया इस विद्रोह में मुगल सेनापति अब्दुल नवी मारा गया। बाद में मुगल फौजदार हसन अली खाँ ने गोकुला को मार डाला।
1686 में जाटों ने पुनः विद्रोह कर दिया इस बार नेतृत्व की बागडोर राजाराम एवं रामचिरा ने सम्भाली राजाराम ने मुगल सेनापति युगीर खाँ की हत्या कर दी तथा 1688 ई0 में अकबर के मकबरे में लूटपाट की। मनूची ने लिखा है कि ’’राजाराम ने अकबर के मकबरे को खोदकर जला दिया’’। औरंगजेब के पौत्र बीदर बक्श और आमेर नरेश विशन सिंह ने राजाराम को मार डाला।
2. सतनामी विद्रोह (1672) प्रमुख केन्द्र:- नारनोल (पटियाला) एवं मेवात (अलवर)
सतनामी बैराग्यों का एक पेय था जो अपने बाल मुड़ाकर रखते थे। इसी कारण इन्हें मुडि़या भी कहा जाता था। 1659 ई0 में उधो बैरागी नामक साधू एक चेले ने काजी की हत्या कर दी इस विद्रोह का तात्कालीक कारण एक मुगल पैदल सैनिक द्वारा उनके एक सदस्य की हत्या था।
3. अकबर का विद्रोह:- अकबर औरंगजेब का पुत्र था। उसने शिवाजी के पुत्र शम्भाजी के साथ मिलकर औरंगजेब के विरूद्ध षडयंत्र किया परन्तु औरंगजेब ने बड़े बुद्धिमानी से शम्भाजी को अलग कर दिया। अकबर 1681 ई0 में भागकर फारस चला गया।

धार्मिक नीति  

औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसने गद्दी पर बैठते ही कुरान के नियमों का पालने करते हुए 80 प्रकार के करों को समाप्त कर दिया। इन करों में-
1. आबवाब-उपरिकर
2. पानडारी-चुंगीकर
3. राहदारी-परिवहन
कर शामिल थे।
उसने सिक्कों पर कलमा खुदवाना नौरोज मनाना भांग की खेती करना आदि पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया। राज्याभिषेक के 11वें वर्ष झरोखा दर्शन संगीत निषेध जबकि 12वें वर्ष तुलादान प्रथा बन्द कर दी। 1689 ई0 जजिया को पुनः लागू कर दिया। इसे लागू करने का विरोध मेवाड़ के शासक राज सिंह ने किया था। उसे कई मन्दिरों के तुड़वाने का आरोप लगाया जाता है जिसमे मथुरा का केशवराय मन्दिर और बनारस का विश्वनाथ मन्दिर प्रसिद्ध है। उसने लोगों के आचरण पर नजर रखने के लिए एक अधिकारी मुहतसिब की नियुक्ति की।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  1. औरंगजेब सबसे कट्टर शासक था लेकिन सर्वाधिक हिन्दू सरदार 33 प्रतिशत इसी के काल में थे। शाहजहाँ के युग में इसके बाद हिन्दू सरदारों की संख्या 24 प्रतिशत थी।
  2. औरंगजेब ने इतिहास की पुस्तकों को लिखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था परन्तु सर्वाधिक इतिहास की पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। खाफीखाँ ने अपनी पुस्तक मुन्तखब-उल-लुबाब छिप करके के लिखा।
  3. औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। परन्तु संगीत की सर्वाधिक पुस्तकें इसी के काल में लिखी गई। वह स्वयं ही वीणा बजाता था। मनूची लिखता है कि सम्राट संगीत सुनता भी था। इसी के समय में शिखों के गुरु तेग बहादुर को 1675 में फाँसी दे दी गई। शिवा जी के पुत्र शम्भा जी को भी 1689 में फाँसी दे दी गई।

मृत्यु:- औरंगजेब की मृत्यु अहमदनगर में 1707 ई0 में हुई। इसे दौलताबाद में मुस्लिम फकीर बुरहानुद्दीन की कब्र में दफना दिया गया।

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